13 वर्षीय तिलक मेहता ने कैसे शुरू किया अपना स्टार्टअप?


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तिलक मेहता ने यह साबित किया कि उम्र और सफलता का कोई लेना देना नहीं है। आप किसी भी उम्र में सफल हो सकते हैं। मात्र 13 साल की उम्र में जब ज्यादातर लोग खेलने और पढ़ने में व्यस्त होते हैं, इस उम्र में तिलक ने अपना स्टार्टअप startup शुरू कर दिया और आज उनकी कंपनी की नेट वर्थ 100 करोड़ से भी ज्यादा है। उन्होंने यह भी साबित कर दिया कि वह अपनी पढ़ाई और बिज़नेस दोनों को साथ में मैनेज कर सकते हैं। उन्होंने अपना खुद का एप्लीकेशन application पेपर्स एंड पार्सल Papers N Parcels का निर्माण करवाया और एक बड़ा व्यापार तो खड़ा किया ही लेकिन इसके साथ-साथ 500 से ज्यादा लोगों को रोजगार भी दिया।

अगर आप किसी 13 साल के बच्चे के माता-पिता से पूछेंगे कि अभी उन्हें अपने बच्चे से क्या उम्मीद है तो ज्यादातर माता-पिता यही जवाब देंगे कि उनका बच्चा पहले अपनी एजुकेशन पूरी करे और बाद में कोई अच्छी नौकरी या अपना बिज़नेस business शुरू करे। लगभग हर युवा की भी यही सोच होती है कि पहले ग्रेजुएशन कर लेते हैं, थोड़ा एक्सपीरियंस ले लेते हैं और बाद में किसी बिज़नेस के बारे में विचार करेंगे।

13 साल के तिलक मेहता Tilak Mehta ने लोगों की इसी सोच को गलत साबित किया। उन्होंने यह साबित किया कि उम्र और सफलता का कोई लेना देना नहीं है। आप किसी भी उम्र में सफल हो सकते हैं। मात्र 13 साल की उम्र में जब ज्यादातर लोग खेलने और पढ़ने में व्यस्त होते हैं, इस उम्र में तिलक ने अपना स्टार्टअप startup शुरू कर दिया और आज उनकी कंपनी की नेट वर्थ 100 करोड़ से भी ज्यादा है।

अपनी पढ़ाई पूरी करना है और बाद में अपना बिज़नेस शुरू करना है, यह सोच तो कई लोगों की होगी लेकिन मात्र 13 वर्षीय तिलक ने वह कर दिखाया जिसे करने में बड़े-बड़े और अनुभवी बिजनेसमैन businessman को सालों लग जाते हैं। वह आज कई लोगों की प्रेरणा हैं और उन्होंने यह साबित किया है कि आपके विचार और कड़ी मेहनत hardwork ही आपको सफल बनाने के लिए काफी हैं। आइए तिलक मेहता के बारे में जानते हैं-

कौन हैं तिलक मेहता? Who is Tilak Mehta?

15 साल के तिलक मेहता भारत के सबसे युवा बिजनेसमैन्स youngest businessmans में से एक हैं। उनका जन्म सन् 2006 में गुजरात में हुआ था। 13 साल की उम्र में जहां बच्चे खेल, पढ़ाई और टीवी देखने में व्यस्त रहते हैं, इतनी छोटी सी आयु में उन्होंने अपनी खुद की कंपनी की शुरुआत कर दी। उन्होंने यह भी साबित कर दिया कि वह अपनी पढ़ाई और बिज़नेस दोनों को साथ में मैनेज कर सकते हैं।

उनके पिता लॉजिस्टिक आधारित कम्पनी से जुड़े हैं और उनकी मां काजल मेहता एक गृहणी हैं। उनकी एक जुड़वा बहन तन्वी मेहता भी है। 2018 में उन्होंने इंडिया मैरीटाइम अवॉर्ड्स India Maritime Awards में युवा बिजनेसमैन का ख़िताब जीता था। अभी वह गुरुकुल ओलंपियाड स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं और उनका सपना है कि वह अपनी कंपनी को और ऊंचाइयों तक लेकर जाएं।

कैसे पेपर एंड पार्सल की शुरुआत हुई?

पेपर एंड पार्सल कंपनी को खोलने का ख्याल तिलक को एक समस्या की वजह से आया था, जब उन्हें एक किताब की ज़रूरत थी और वह किताब उनके अंकल के घर पर छूट गई थी। तिलक ने उस किताब को लाने के लिए अपने पिता से कहा कि उन्हें उस किताब की कल ही ज़रूरत है और वह अंकल के घर से किताब लेते आएं। उस दिन उनके पिता काम में काफी व्यस्त थे और उन्होंने इस बात को टाल दिया। पिता के मना करने के बाद तिलक को एक आइडिया idea आया। उन्होंने कूरियर कंपनी courier company की सहायता लेने की सोची लेकिन उसी दिन डिलीवरी करने के लिए कूरियर कंपनी 300 रुपए तक चार्ज कर रही थी तो इस पर उनके पिता ने कहा कि इतने में तो तुम नई किताब ही खरीद लोगे।

हर सफल उद्यमी successful entrepreneur कोई न कोई बड़ी समस्या सॉल्व करने की कोशिश करता है और तिलक मेहता के साथ भी यही हुआ। तिलक ने सोचा कि मुंबई में ऐसे कई लोग होंगे जिनको इसी तरह की समस्या से परेशान होना पड़ता होगा।

अगर वे लोग कुरियर कंपनी की मदद लेते हैं तो वह सामान डिलीवर करने में बहुत ज्यादा समय लगाती है और अगर कम समय में सामान डिलीवर करने के लिए बोलो तो अधिक पैसे वसूल करती है। इसी तरह उनके मन में पेपर एंड पार्सल Papers N Parcels को शुरू करने का विचार आया। उन्हें लगा की क्यों ना किसी ऐसी कंपनी की शुरुआत की जाए जो कम समय में और कम पैसे में लोगों को सामान की डिलवरी की सेवा दे पाए और इसी विचार की मदद से उन्होंने अपना स्टार्टअप शुरू किया।

उनके पास एक बेहतरीन आइडिया था, वह प्रोब्लम भी सॉल्व कर रहे थे और उनका परिवार भी उनकी मदद करने के लिए तैयार था लेकिन उनके सामने अभी भी एक चुनौती थी कि बिज़नेस की शुरुआत कैसे की जाए और वह अपने बिज़नेस को लोगों तक कैसे पहुंचा पाएंगे। वह ये सब सोच ही रहे थे कि तभी उन्हें डिब्बे वालों के बारे में ख्याल आया। डिब्बों वालो को मुंबई शहर की लाइफलाइन lifelines of Mumbai कहा जाता है क्योंकि मुंबई में सब कुछ लेट हो सकता है लेकिन ये लोग अपने टाइम के काफी पक्के होते है और इनका नेटवर्क पुरे मुंबई शहर में फैला हुआ है। तिलक ने सोचा कि वह इन लोगों के साथ मिलकर काम कर सकते हैं और ऐसा करने से वे लोग खाना डिलीवरी करने के साथ-साथ लोगों के अन्य सामानों की भी डिलीवरी कर दिया करेंगे। तिलक ने डिब्बे वालों के साथ समय बिताया और उनके नेटवर्क और काम को अच्छे तरीके से समझा।

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