Consumer Awareness क्या है और इसका क्या महत्व है ?


 हम अपनी आवश्यकताओं और इच्छाओं की पूर्ति के लिए विभिन्न प्रकार की चीज़ों को खरीदते और सेवाएं प्राप्त करते हैं। मतलब प्रत्येक मनुष्य एक स्वाभाविक उपभोक्ता है। आपने अक्सर महसूस किया होगा कि वस्तुओं की कीमत चुकाने के बाद वस्तु की जो गुणवत्ता है उसके लिए अदा की गई कीमत उसके अनुरूप नहीं है। इसके अलावा वस्तु की मात्रा, बताई गई मात्रा से कम होती है। साथ ही आपने कई बार ऐसी सेवाओं या वस्तुओं का भी मूल्य अदा किया होगा जो विज्ञापन में तो आकर्षक दिखाई देते हैं लेकिन वास्तविकता कुछ और होती है। यानि प्रस्तुत की गई छवि और वास्तविक रूप से उस वस्तु में काफी भिन्नता होती है। जब आपके सामने ऐसी स्थिति आती है तो आप क्या करते हैं। निःसंदेह आपने बहुत निराशा का अनुभव किया होगा। ऐसा होने पर आप अपने आपको ठगा सा महसूस करते हैं। ऐसे होने पर क्या आपने कोई कार्यवाही की या अपने कोई उपाय किया। आपको शायद उस धोखे के बारे में पता ही नहीं है जो आपके साथ हुआ है। बस यही वह समस्या है जिसमें उपभोक्ता consumer को उसकी शिकायत करने का पूरा अधिकार होता है। इसके बारे में हर नागरिक को जानना जरुरी है। एक उपभोक्ता के रूप में आपके पास कई अधिकार प्राप्त हैं जिनके बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए। हर किसी को उपभोक्ता जागरूकता Consumer Awareness या उपभोक्ता शिक्षा consumer education के बारे में जानकारी होनी चाहिए। तभी आप एक नागरिक के रूप में अपने साथ न्याय कर पाएंगे। चलिए आज इसी Consumer Awareness के बारे में जानते हैं कि उपभोक्ता जागरूकता क्या है और क्यों इसका इतना महत्व है। सबसे पहले उपभोक्ता के बारे में जानते हैं।

उपभोक्ता किसे कहते है ? (What do consumers call it?)

उपभोक्ता उस व्यक्ति को कहते हैं, जो विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं का या तो उपभोग करता है अथवा उनको उपयोग में लाता है। यानि यदि कोई व्यक्ति, वस्तुओं एवं सेवाओं का चयन करता, उन्हें प्राप्त करने के लिए पैसा खर्च करता है और अपनी जरूरतों की की पूर्ति करने के लिए उनका उपयोग करता है उसे उपभोक्ता कहते हैं। 

उपभोक्ता जागरूकता क्या है? (What Is Consumer Awareness)

उपभोक्ता जागरूकता एक उपभोक्ता के रूप में अपने अधिकारों के बारे में जानना Knowing about your rights as a consumer है। यानि उपभोक्ता जागरूकता का मतलब उपभोक्ता को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूकता रखना है। 

उपभोक्ता अधिकारों की घोषणा सबसे पहले अमेरिका America में 1962 में स्थापित की गयी थी। जब उपभोक्ता बहुत अधिक कीमत पर सामान की खरीददारी करता है या फिर मिलावटी और कम गुणवत्ता का सामान खरीदता है तो उपभोक्ता को इस धोखे के बारे में जानना जरूरी है। यह सब देखते हुए उपभोक्ता को चौकस रहने की आवश्यकता है। क्योंकि निर्माता अपने उत्पादों की बिक्री को बढ़ाने के लिए mislead consumers उपभोक्ताओं को गुमराह करके उनका शोषण करते हैं। इसलिए यह हर व्यक्ति के लिए अत्यंत आवश्यक है कि वो जागरूक रहे। उपभोक्ता जागरूकता का तात्पर्य है कि खरीदार वस्तुओं, सेवाओं, उत्पादों, व्यवस्थाओं और खरीदारों के विशेषाधिकारों Goods, services, products, arrangements and privileges of the buyers के डेटा और जानकारी के बारे में जानता है। उपभोक्ता जागरूकता महत्वपूर्ण है ताकि खरीदार सही निर्णय ले सकें और सही समय पर सही चुनाव कर सकें। यदि खरीदी गई वस्तुएँ या सेवाएँ खराब गुणवत्ता की हों या कम मात्रा में पायी जाती हो तो इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। उत्पाद की गुणवत्ता और उत्पाद की कीमत के बारे में उपभोक्ताओं को शिक्षित करने की आवश्यकता Consumers need to be educated महत्वपूर्ण है। कुल मिलाकर उपभोक्ता जागरूकता एक प्रक्रिया है जिसमें उपभोक्ता को उनके अधिकारों और नियमों Consumer rights and rules के बारे में बताया जाता है जिससे कि वह जागरूक होकर किसी भी सेवा और वस्तु को खरीद कर उपभोग कर सके।

उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण का महत्त्व Importance of consumer education and protection

आज हमारे आस-पास चाहे वह शहरी हो या ग्रामीण दोनों बाजारों में ही उत्पादों का निर्माण और बिक्री निरंतर बढ़ती जा रही है। निर्माता उपभोक्ताओं को अनदेखा नहीं कर सकते। उपभोक्ताओं की बढ़ती संख्या तथा वस्तुओं और सेवाओं के उपयोग की मात्रा बढ़ती जा रही है। उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण के अंतर्गत उपभोक्ता का सम्मान और उन्हें संतुष्ट करना महत्वपूर्ण है। आज के उपभोक्ता के लिए सतर्क, जागरूक और पूरी जानकारी रखने वाला उपभोक्ता बनना आवश्यक है। इसलिए उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण आज के उपभोक्ता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। 

आज भारतीय उपभोक्ता के पास चयन करने के लिए विदेशी कंपनियों के भी अनेक विकल्प हैं और वह प्रतिस्पर्धी कीमतों में से बेहतर उत्पादों को चुन सकता है। लेकिन साथ ही साथ सही उत्पाद का चयन करना अब अधिक कठिन हो गया है, चूँकि उपभोक्ता को नयी प्रौद्यौगिकी, नए उत्पादों और नयी विशेषताओं New technology, new products and new features को समझना पड़ता है। इसके अलावा उपभोक्ता को कीमत और गुणवत्ता की भी तुलना करनी पड़ती है। उपभोक्ता को बेकार गुणवत्ता, बेईमान विक्रेताओं द्वारा शोषण, भ्रामक विज्ञापनों Poor quality, exploitation by unscrupulous sellers, deceptive advertisements जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता पड़ता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को एक समझदार और जागरूक उपभोक्ता बनना महत्वपूर्ण हो जाता है।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम Consumer Protection Act

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 भारत में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए भारत की संसद में अधिनियमित 1986 का एक अधिनियम है। यह उपभोक्ता विवादों के निपटारे और संदिग्ध मामलों के लिए उपभोक्ता परिषदों और अन्य प्राधिकरणों की स्थापना का प्रावधान करता है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम उपभोक्ता के हित में एक महत्वपूर्ण कानून है और हर उपभोक्ता को अपने अधिकार जानने चाहिए। इस अधिनियम का मुख्य कार्य उपभोक्ताओं की बाजार में मौजूद कपटपूर्ण बाज़ार नीतियों से सुरक्षा करना और उनकी शिकायतों का निवारण उपलब्ध कराना है। इसके द्वारा उपभोक्ताओं की शिकायतों के लिए उन्हें सरल, शीघ्र और सस्ता निवारण उपलब्ध कराना है। भारत सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (सी.पी.ए.) 1986 के अंतर्गत छह उपभोक्ता अधिकारों को स्वीकृत किया है। 

इनमें चार मौलिक अधिकार है -

(1) सुरक्षा का अधिकार, 

(2) सूचित किए जाने का अधिकार, 

(3) चयन का अधिकार और 

(4) सुने जाने का अधिकार 

दो अतिरिक्त अधिकार हैं- निवारण का अधिकार और शिक्षा का अधिकार।

उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार Right to consumer education

उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार का महत्व काफी अधिक है। इसका अर्थ है कि प्रत्येक व्यक्ति को एक जानकार उपभोक्ता होने के लिए ज्ञान और कौशल अर्जित करने का अधिकार है, जिससे वह वस्तुओं को खरीदते समय अथवा सेवाओं को प्राप्त करते समय सही और विवेकपूर्ण निर्णय ले सके और वह अपने अधिकारों की रक्षा कर सके। यानि उपभोक्ता को इतना शिक्षित होना चाहिए कि वह अपनी समस्या का समाधान स्वयं कर सके। यदि कोई समस्या हो तो उपभोक्ता को उसकी शिकायत करने का अधिकार पता हो। हम सभी प्रतिदिन किसी न किसी चीज को खरीदते हैं और इसका इस्तेमाल करते हैं लेकिन कभी-कभी हमारे साथ धोखा होता है और अधिक कीमतों पर काफी सस्ती वस्तु हमें दे दी जाती है इस परिस्थिति में हम अपने उपभोक्ता शिक्षा के अधिकारों का इस्तेमाल कर अपना हक प्राप्त कर सकते हैं।

उपभोक्ता सशक्तिकरण सप्ताह 

उपभोक्ता मामले विभाग Consumer affairs department ने प्रगतिशील भारत के 75 साल और लोगों की संस्कृति और उनकी उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास का जश्न मनाने के लिए 14 मार्च, 2022 को "उपभोक्ता सशक्तिकरण सप्ताह" Consumer Empowerment Week शुरू किया। उपभोक्ता जागरूकता पैदा करने के लिए 23 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के 85 से अधिक गांवों में ग्रामीण लोगों की बड़ी भागीदारी के साथ ग्राम पहुंच कार्यक्रम आयोजित किए। साथ ही ग्राम पहुंच कार्यक्रमों के जरिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019, भारतीय मानक चिह्नों, हॉलमार्क वाले आभूषण, सीआरएस चिह्न की विशेषताओं और डिब्बाबंद वस्तुओं पर देखे जाने वाले विवरण, सही वजन और सही माप के बारे में जागरूकता पैदा की है और इससे लोग जागरूक हो रहे हैं। इसके अलावा उपभोक्ताओं को राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन नंबर 14404 या 1800-11-4000 पर उपभोक्ता शिकायत दर्ज करने के बारे में जानकारी दी।

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